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आगरा, हिन्दुस्तान की आवाज, अजहर उमरी


आगरा ,इस्लामी महीना मुहर्रम-उल-हराम पर हज़रत इमाम हुसैन और इमाम हसन की शान में अंजुमन निशाते अदब और यूथ वैलफेयर सोसायटी के द्वारा एक मुसालमे का आयोजन लाडो गली, हींग की मण्डी (सेठ गली की पुलिया के पास) पर किया गया, मुसालमे में आगरा के प्रसिद्ध शायरों ने अपना कलाम पेश किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सैय्यद अजमल अली शाह ने की और संचालन शाहिद नदीम ने किया। मुख्य अतिथि पीरजादा उमर तैमूरी, विशिष्टि अतिथि अल्लामा अहमर जलेसरी थे। कार्यक्रम की शुरुआत हाफिज वकील ने कुरान पाक की तिलावत से की। तिलावत के बाद उस्ताद शायर मरहूम जनाब तनवीर मुस्तफा के पोते उनेज हाशमी ने तवनीर मुस्तफा के सलाम के शेरों को पढ़ा। इमाम हुसैन की शहादत पर हुए बयान के बाद अल्लामा अहमर जलेसरी, हसन इकबाल, शाहिद नदीम, मशकूर कानपुरी, रईस अकबराबदी, सुहेल लखनवी, गौहर अकबराबादी,, ख़ान राशिद खान, क़रार अकबराबादी, तनवीर अकबराबादी, दिलकश जलौनवी, लईक अकबराबादी, असलम सलीमी, सईद उल्लाह माहिर, आदि शायरों ने अपने कलाम पेश किये। अवाम ने खास तौर पर
शाहिद नदीम का शेर ‘‘माहे अज़ा में जो शादी रचाओगे, तो महशर में मुस्तफा को क्या मुंह दिखाओगे’’
अमीर अकबराबादी का शेर ‘‘बुझाता आया है दरया ही प्यास प्यासों की, यहां तो प्यासों ने दरया को तशनगी दी है.
इस मौके पर सैय्यद नवेद हाशमी, राहिल याकूब, हाज़िक़ हाशमी, इमरान, फारुख़, मुहसिन सनी, शहबाज, अकलीम, आक़िब, शाहरुख़, आराज़, अग़राज़, उनेज़, उजे़र, रंजीत , सय्यद मैराज उद्दीन, सय्यद फ़ैज़ अली, सैय्यद इरफान सलीम, समी आगाई, चैधरी फैजान, नफीस उद्दीन, फरीद उद्दीन, अजहर उमरी आदि मौजूद रहे। अंत में अंजुमन निशाते अदब के जनरल सैक्रेटरी सय्यद ख़ादिम अली हाशमी ने कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए सबका धन्यवाद दिया।

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