Ads (728x90)

मुंबई - महाराष्ट्र सरकार एसिड अटैक और बलात्कार पीड़िताओं के संग अन्यायपूर्ण रवैया अपना रही है। राज्य की भाजपा नेतृत्व वाली फडणवीस सरकार ने इन पीड़िताओं को मनोधैर्य योजना के लाभ से वंचित रखने के लिए इसमें फेरबदल कर इसकी नियमावली को ज्यादा जटिल बना दिया है, जो इन हादसा प्रभावितों के लिए बेहद अन्यायकारी है।राज्य सरकार पर यह सनसनीखेज आरोप महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव  सुमन आर अग्रवाल ने लगाया है।

राजनीतिक क्षेत्र सहित जनहित के सामाजिक कार्यों में भी पिछले कई वर्षों से लगातार सक्रिय श्रीमती अग्रवाल ने एसिड अटैक और बलात्कार पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने की दिशा में व्यापक मुहिम छेड़ रखी थी और तब जाकर वे उन्हें राहत दिलाने में कामयाब हुई थीं। तब कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए क़ानून भी बनाया और एसिड जैसी चीजों की खुलेआम खरीदारी पर आवश्यक बंदिश भी लगाईं। साथ ही पीड़िताओं को हैंडिकैप श्रेणी मंजूर करके उनके इलाज के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान भी किया। पीड़िताओं के लिए इन लाभों का समावेश मनोधैर्य योजना के तहत था। श्रीमती अग्रवाल का कहना है कि लेकिन अब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद फडणवीस सरकार ने मनोधैर्य योजना का लाभ मिलने के नियम-शर्तों में बदलाव कर इसका अधिकार जिला स्तर पर जिलाधिकारी से छीन लिया है। नई नियमावली के अनुसार अब लाभार्थियों का चयन सीधे मंत्रालय स्तर पर होगा। इस प्रक्रिया के तहत पीड़िताओं को शीघ्र मदद मिलने के बजाय इसमें काफी विलंब होने की आशंका है, जिसका एसिड अटैक और बलात्कार पीड़िताओं पर विपरीत असर पडेगा। श्रीमती अग्रवाल का आरोप है कि सरकार के इस अन्यायकारी रवैए से बड़ी संख्या में पीड़िताओं को मनोधैर्य योजना से वंचित रहना पडेगा और इस योजना की नियमावली को जटिल बनाए जाने से लाभार्थियों की संख्या में खासा गिरावट

आएगी। संभवतः राज्य की फडणवीस सरकार की इस चाल में उसकी यही मंशा नजर आती है कि वह इन पीड़िताओं की हितैषी नहीं है।

सुमन आर. अग्रवाल ने बताया है कि सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या में दिनोंदिन गिरावट आ रही है, जिसके लिए सरकार की लुकाछिपी वाली

मानसिकता और अव्यावहारिक व जटिल नियमावली ख़ास तौर पर जिम्मेदार है। सरकार के योजनाबद्ध कामकाज के अभाव में सरकारी तिजोरी की स्थिति दयनीय हो गई है, सरकार के पास लाभार्थियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, सो वह विभिन्न वजहें बताकर किस तरह लाभार्थियों की संख्या कम की जा सके, इस कवायद में पूरे जी-जान से जुटी है।

उनका कहना है कि इस सरकार ने राज्य को पूरी तरह कर्ज में डुबोकर रख दिया है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र पर करीब 4 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा का कर्ज लदा है। लिहाजा इस राज्य पर प्रति माह 4000 करोड़ रूपए के व्याज का बोझ है। इस हिसाब से अगर देखें, तो महाराष्ट्र पर रोजाना 110 करोड़ रूपए का व्याज चढ़ा है। एलबीटी रद्द करने के निर्णय के चलते सरकार को प्रति माह करीब 1400 करोड़ रूपए मनपाओं समेत समकक्ष स्थानीय निकायों को देनी पड़ रही है। यह सब सरकार की नियोजनशून्य कार्यशैली और अदूरदर्शिता का नतीजा है कि महाराष्ट्र के सिर पर कर्ज का पहाड़ लदा है। इसका विपरीत परिणाम विविध सरकारी योजनाओं पर हो रहा है, जिसकी वजह से पीड़ितों को भारी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। श्रीमती अग्रवाल ने सरकार से मांग की है कि वह ऐसी कोई भूमिका न अपनाए, जिससे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को लाभ मिलने से वंचित रहना पड़े। साथ ही, मनोधैर्य योजना के तहत लाभार्थियों को भी शीघताशीघ्र मदद मिल सके, इस दिशा में जल्द-से-जल्द ठोस कदम उठाए।

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।

Post a Comment

Blogger