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-सेवन से खतरनाक बीमारियों के शिकार हो रहे लोग


कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान

कन्नौज। जनपद के विभिन्न बाजारों में इन दिनों खाद्य पदार्थों के नाम पर जहर परोसा जा रहा है। चन्द पैसो के लालच में व्यवसाई वर्ग खाद्य पदार्थों में हानिकारक पदार्थों को मिलाकर बेच रहा है। जिसके सेवन से लोग खतरनाक बीमारियों के शिकार हो रहे है। बाजारों में बिकने वाले दूध, घी, खाद्य तेल, सरसो का तेल, अरहर की दाल, चाय, सहद आदि चीजों में खुलेआम मिलाबट किया जा रहा है। और उसे लोगों को बेचा जा रहा है।

मिलाबिटी खाद्य पदार्थों की विक्री शहर के बाजारों में तो खुलेआम की ही जा रही है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं है आज के आर्टीफिशियल युग में कोई भी खाद्य पदार्थ पूरी तरह से सुरक्षित व शुद्व नहीं है। और इस पर चन्द पैसो का अधिक लालच लोगों को खतरनाक बीमारियों का शिकार बनाता जा रहा है। लोग है कि मजबूरी में इन्हें पेट भरने के लिए भक्षण करने के लिए मजबूर है बाजारों में बिकने वाले खाद्य पदार्थो में की जाने वाली मिलावट की विगत दिनों परीक्षण कराया गया तो अधिकांश खाद्य पदार्थो में 45 से 90 प्रतिशत मिलावट पाया गया। जैसे बाजार में बिकने वाला बहुउपयोगी दूध में फर्मलिन, यूरिया, सोडियम, बाईकार्बोनेट, डिटर्जेन्ट एवं स्टार्च आदि पदार्थों को मिलाया जाता है। दूध का मुख्य तत्व मक्खन भी निकाल लिया जाता है जिससे उसकी गुणवत्ता तो खत्म हो ही जाती है। साथ ही अन्य पदार्थो के मिलावट से वह हानिकारक भी सावित हो रहा है। इसी प्रकार शुद्व घी में वनस्पित की मिलावट की जा रही है शुद्व देशी घी के 25 नमूनों में 16 नमूनो में मिलावट 64 प्रतिशत निकाली गयी। खाद्य तेलों में आर्जीमोन, मोबिल एवं खनिज तेल अरण्डी व करन्टर आयल की मिलावट की जा रही है। खाद्य तेलो में 96 प्रतिशत मिलावट पाया गया इसी प्रकार हल्दी में लेड क्रोमेट, लाल मिर्च में लकडी का बुरादा, ईंट का पाउडर काली मिर्च में पपीता का बीज पिसी धनिया में लकडी का बुरादा लौंग का तेल निकालने के बाद उसे लौंग के तेल के नाम पर बेचा जा रहा है। मिठाई और जैली में हानिकारक रंग का प्रयोग किया जाता है। खोया में मैदा, उबले आलू और सकरकन्द की मिलावट की जाती है। अरहर की दाल में खेसारी की मटर मिलाकर बेची जाती है इसी क्रम में चाय में कृत्रिम रंग, चमडे का बुरादा व लोहे के कण मिलाये जाते है। बाजार में बिकने वाला बहुमूल्य पदार्थ केसर में मकई की रंगी मूंछे और सहद में चीनी का शीरा ग्लूकोज आदि की मिलावट की जाती है। इसी मिलावट का ही असर है कि आज के नवयुवकों को तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती है और आसमय ही लोगों के बाल तक सफेद हो जाते है।
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