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आगरा, हिन्दुस्तान की आवाज, अजहर उमरी

आगरा। या हुसैन कहने से खास किस्म की ताकत मिलती है। हुसैन किसी एक शख्स के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के है, ये कहना था सैय्यद फ़ैज़ अली नियाज़ी का जो न्यू आगरा में तकरीरी जलसे को ख़िताब कर रहे थे, मुहर्रम के मुक़द्दस माह में ये जलसा ऑल इंडिया मजलिसे इत्तिहाद ए मुसलेमीन की जानिब से न्यू आगरा में मौजूद कर्बला मैदान में आयोजित किया गया था, जिसकी सदारत ऑल इंडिया मजलिसे इत्तिहाद ए मुसलेमीन हाजी इदरीस अली ने की, इस मौके पर जैसे को खिताब करते हुए सैय्यद फ़ैज़ अली शाह ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत पूरी दुनिया के लिए पैगाम मिलता है कि किस तरह से आपने सब्र के साथ अपनी उम्मत के लिए क़ुरबानी दी, सैय्यद फ़ैज़ अली शाह ने अवाम को ख़िताब करते हुए अवाम से सवाल पूछा कि उन ७२ शहीदाने कर्बला ने नाम आपको मालूम है इस पर अवाम से कोई माक़ूल जबाब न आने पर फैज़ अली शाह ने मुहर्रम से जुड़े हर सवाल का अवाम को जबाब दिया, इस मौके पर युवा उर्दू पत्रकार सैय्यद खावर हाशमी ने जलसे को खिताब करते हुए कहा कि मौजूदा वक़्त में एक नई किस्म की बहस अवाम के बीच निकल कर आ रही है कि ताज़ियादारी करनी चाहिए या नहीं, मेरी किसी पर तंज़ नहीं नहीं में किसी की हिमायत कर रहा हूँ, मेरे तो ये कहना है कि ताज़िया आज से नहीं उस वक़्त से रखे जा रहे है, जब मुग़ल हुकूमत थी, उस आम वक़्त किसी को कोई एतराज़ नहीं था, लेकिन इस पर एतराज़ क्यों, क्या उस वक़्त दानिश्वर नहीं थे, आज हम बस नाजायज़ और जाइज़ की जंग लड़ रहे है और दुसरो को मौका दे रहे है, कि आइये हम लोग आपस में बंटे हुए है, सदारत करते हुए हाजी इदरीस अली ने कहा मजलिस की कोशिश है कि मुहर्रम के मौके पर शहर के हर हिस्से में जाकर इमाम हुसैन की शाहदत से हर उस पहलू पर अवाम को जागरूक किया जाये, जिससे अवाम आज तक महरूम है , ये सियासी प्रोग्राम नहीं है ये क़ौम का प्रोग्राम होगा, इसको किसी किस्म का कोई सियासी रंग नहीं दिया जाएगा, तकरीरी जलसे की शुरुआत क़ुरान पाक की तिलावत से हुई। इस मौके पर हज़ारो की तादात में अवाम मौजूद रही

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