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नागौर, हिन्दुस्तान की आवाज, दिनेश कड़वासरा


नागौर, हम आए दिन देखते हैं की मात्र एक माह पूर्व या कुछ दिन पूर्व बनी सड़क उखड़ी। ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता है कि घटिया सामग्री के इस्तेमाल के कारण ही सड़कों की दुर्दशा होती है। कल ही समाचार पत्रों में खबर छपी थी कि नागौर शहर के रेन बसेरा से झड़ा तलाब के पास अमर सिंह कॉलोनी व कुमारी दरवाजा रोड को जोड़ने वाली सड़क जो एक माह पूर्व ही बनी थी, जगह-जगह से उखड़ा ही गई है। क्षेत्रवासियों ने इस पर भारी रोष जताया है। यह तो हुई एक सड़क की बात। दूसरी सड़क की बात हम गोटन से मेड़तासिटी की करते है । इस सड़क से गोटनवासी तो रग-रग से वाकिफ है कि सड़क की किया हालत है कोई सुनने वाला नही है । इस पोपा बाई के राज में सब लगे हुए है अपने कोटे की भरपाई करने में। ऐसी चर्चा रोज सुनने को मिलती है, लेकिन इसकी गहराई तक जाने की कोई चेष्टा नहीं करता है, जो ढर्रा चल रहा है उस पर आम आदमी आंख मूंदकर बैठ जाता है। जिसका फायदा सरकारी मशीनरी व जनप्रतिनिधि बेखुबी उठा रहे है। आखिर क्यों हो जाती है सड़कों की ऐसी दुर्दशा? हम सब जानते हैं कि यह सब कमीशन के खेल का ही चक्कर है। कमीशन प्रथा घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है, सूत्र बताते हैं कि पूर्व में सडक ठेकों की कमीशन मात्र 12% तक तय हो जाती थी, जो अब 30% कम से कम है ऐसे मे ठेकेदार क्या माल लगाएगा यह हम सब सोच सकते हैं। निर्माण में घटिया सामग्री लगाने की शिकायत करने पर संबंधित संस्थान द्वारा एक बार तो ठेकेदार का भुगतान रोक दिया जाता है लेकिन मामला शांत होने के बाद वह भुगतान
कर दिया जाता है, जिसकी जानकारी शिकायतकर्ता फॉलोअप नहीं कर पाता है। आम जनता के जागरूकता के अभाव में हौसले बुलंद हो रहे है।

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