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प्रतापगढ़,हिन्दुस्तान की आवाज,प्रमोद श्रीवास्तव

प्रतापगढ,जिला उद्यान अधिकारी श्री रणविजय सिंह की विज्ञप्ति के अनुसार किसानों को सुझाव दिया गया है कि आम की फसल को सम-सामयिक रूप से हानिकारक कीटों एवं रोगों से बचाव हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाये ताकि आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित हो सके। फल मक्खी कीट का प्रकोप मई माह से जुलाई तक होता है जिससे आम की फसल को काफी क्षति होती है। आम के फल को मक्खी कीट बड़ी मात्रा में नुकसान पहुॅचाते है यह कीट की सूड़ियॉ आम के फलों के अन्दर घूसकर गूदे को खाती है जिससे फल खराब हो जाता है। इसके रोकथाम के लिये मिथाइल यूजिनाल 0.1 प्रतिशत (1.5 मिली0 प्रति ली0 पानी) $ मैलाथियान 0.2 प्रतिशत (2 मिली0 प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर 8 से 10 जगह प्रति हेक्टेयर के हिसाब से चौड़े मुॅह की शीशी/डिब्बों में भरकर पेड़ों पर लटका देने से नर मक्खियॉ आकर्षित होकर मैलाथियान कीटनाशी के प्रभाव से नष्ट हो जाती है, इससे आम के फल को सुरक्षित एवं स्वस्थ रख सकते है।

किसान भाईयों को यह भी सलाह दी जाती है कि देख लें आम फल का रंग हल्का पीला या चाकू से काटने पर गूदा हल्का पीला हो जाये तब यह खाने लायक हो जाता है। आम को पकाने के लिये बाजार में इथरल सोल्यूशन उपलब्ध है। सर्वप्रथम आम को ठण्डे पानी से धो लिया जाये इसके उपरान्त 100 से 500 पी0पी0एम0 (100 मिलीग्राम प्रति ली0 पानी) इथरल अथवा इथेफान का सोल्यूशन तैयार करने के उपरान्त आम को 15 मिनट के लिये डूबो दे तत्पश्चात् आम को छाया में सुखाकर कमरे के तापमान पर भण्डारित कर ले। इस प्रकार यह आम 1 से 3 दिन तक में पक कर तैयार हो जाता है। किसान भाईयों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे कृपया आम को ग्रेडेड कर बाजार में विक्री हेतु ले जाये इससे उन्हें अच्छे दाम प्राप्त होगे।

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