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जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलाधिपति के भांजे के खिलाफ अपराधिक ममाले में सुलह न होने पर सुरक्षाकर्मी की बर्खास्तगी का रचा गया था चक्र ब्यूह
बांदा,(सन्तोष कुशवाहा) आरटीआई से प्राप्त सुचना से हुआ खुल्लासा जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट कुलाधिपति रामभद्राचार्य के भांजे के खिलाफ एक अपराधिक मामले में सुलह न करने पर सुरक्षाकर्मी बलबीर प्रसाद को 27 नवम्बर 2015 को निलम्बन ओदश तथा 9 मांह बाद कुलाधिपति नें भांजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले ओबीसी के गार्ड बलबीर प्रसाद को सबक सिखाने के लिए एक षडयंत्र रचा कुलपति नें प्रो0 शिवराज सिंह सेंगर को विश्वविद्यालय में 21 जून 2016 से 30 मई 2017 तक बिजटिंग प्रोफेसर के नियुक्ति कर नियम के विरुद्ध 28 अगस्त 2016 को बिजिटिंग प्रो0 सेंगर की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर बलबीर प्रसाद की बरखास्तगी का चक्रब्यूह की रचना गया था।

सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट से प्राप्त सुचना से ख्ुाल्लासा हुआ कि बलबीर प्रसाद गार्ड द्वारा दिये गये साक्ष्य और वयानों को दर किनार कर शिराज सिंह सेगर की अध्यक्षता वाली जांच समिति की रिर्पोट के पैरा 6 के अुनसार दिनांक 7/8 नवम्बर 2015 की घटना के संदर्भ में विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों एवं चैकी प्रभारी तथा बलबीर प्रसाद के साथ सम्पन्न हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि आप कार्यभार ग्रहण करे फिर भी 8 नवम्बर से 27 नवम्बर 2015 तक बिना सूचना के अनुपस्थित रहे, जिसके आधार पर बलबीर प्रसाद को दिनंाक 27.11.2015 को निलम्बित किया गया।

रिपोर्ट के पैरा 7 में लिखा कि बलबीर प्रसाद नें दिनांक 10.09.2016 को समिति के समक्ष दिनंाक 12.09.2016 को उपस्थित हो कर अपना वयान दर्ज कराया, दूरभाष पर बुलाने पर समिति के समक्ष उपस्थित हुए किन्तु बिना वयान दर्ज कराये चले गये। जांच समिति नें छल पूर्वक उसी पेपर में लिखा कि समिति के समक्ष अपरान्ह 03 बजे तक प्रतीक्षा करने के बावजूद उपस्थित नहीं हुये। समिति नें उन्हे अपना पक्ष रखने का पूरा अवशर दिया किन्तु वह असहयोग किये। समिति नें लिखा कि कि विश्वविद्यालय प्रशासन नें उन्हे अपने कार्य एवं ब्यवहार में सुधार करने के लिए कई अवशर दिये किन्तु ये प्रशासन के अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे अपितु ये जिला प्रशासन को पत्र लिख कर विश्व विद्यालय की छवि को धूमिल किये हैं। जांच आख्या अग्रिम कार्यवाही हेतु कुलपति को भेजी गयी। जब कि गार्ड बलबीर प्रसाद दोपहर 1ः30 बजे समिति के समक्ष उपस्थित हुआ। समिति नें उससे एक सादे कागज पर लिखाया कि वर्तमान समय लन्च का है मैं खाना खाकर वापस अपनी डियूटी स्थल में उपस्थित रहूंगा। जांच समिति नें अपनी रिर्पोट में इस तथ्य को छिपाया है।
बस जांच समिति की रिर्पोट मिलते ही कुल सविच नें पत्रांक जे0आर0एच0यू0/कुल0कार्या0/10898/2016, सितम्बर 14, 2016 को पारित आदेश में कहा कि बलबीर प्रसाद को जांच समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज नहीं कराया अपना पक्ष रखनें का पूरा अवशर दिया परन्तु आपनें सहयोग नहीं दिया तथा लगातार अनुपस्थित के कारण जांच समिति की रिर्पोट के अध्ययनोपरान्त विविद्यालय से सेवा समाप्ति आदेश पारित किया गया।
बलबीर प्रसाद का निलम्बन और सेवा समाप्ति सिर्फ उसके द्वारा करवी कोतवाली में रामभद्राचार्य के भांजे मुकुन्द मोंहन पाण्डेय के खिलाफ रिर्पोट दर्ज कराने के प्रतिशोध के लिए रचा गया षड़यन्त्र और मनगठन्त फर्जी कार्यवाही है। जांच समिति की रिर्पोट के पैरा 6 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि अगर बलबीर प्रसाद अपने ऊपर हुए प्रताडना और लूट पाट की घटना में सुलह समझौता कर लेता तो निलंबन और सेवासमाप्ति नहीं होती।
सुरक्षाकर्मी की प्रताड़ना व सेवा समाप्ति के मामले को यूजीसी नें संज्ञान में ले जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुल सचिव को कड़ा पत्र लिखा

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