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बांदा,(सन्तोष कुशवाहा) अखण्ड भारत के निर्माता और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के 2362 वें जन्मोत्सव पर बांदा जिले में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जन अधिकार पार्टी नें मौर्य वंश के साम्राज्य की पुर्नस्थापना का संकल्प दोहराते हुए मौर्य वंश के लोगों को आपसी एकता का संदेश दिया।

बुद्धवार 19 अप्रैल को बांदा जिले के अलग अलग जगहों पर अखण्ड़ भारत के निर्माता मौर्य साम्राज्य के संस्थापक महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की 2362 वीं जयन्ती बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गयी। बांदा जिले के अतर्रा कस्बे में चन्द्रगुप्त मौर्य की जयन्ती के अवशर पर पार्टी के कार्यकताओं नें चक्रवर्ती महान सम्राट चन्द्रगुप्त के चित्र में माल्यापर्ण करके उनके आदर्शों में चल कर अखण्ड़ भारत के सपना को पूरा करने का संकल्प लिया गया।

रामभवन कुशवाहा जिला महासचिव जन अधिकार पार्टी बांदा नें कहा कि 324 ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था। इनका शासन 24 साल 297 ईसा पूर्व तक रहा। इनके बाद बिन्दुसार नें गद्दी सभांली। भारतीय इतिहास में चन्द्र गुप्त मौर्य का शासन सब से विशाल माना जाता है। पूर्व में बंगाल से अफगानिस्तान और बलोचिस्तान तक, पश्चिम में पाकिस्तान से हिमालय और कश्मीर के उत्तरी भाग तथा दक्षिण में प्लैटाॅ तक में फैला हुआ था। मौर्य वंश के साम्राज्य की पुर्नस्थापना के लिए हमे अलग अलग नाम से फैले समाज में आपसी एकता का कायम करनी होगी।

रवीकांत कुशवाहा मण्ड प्रभारी युवा मोर्चा चित्रकूटधाम मण्डल बांदा नें कहा महान चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और उनके महामंत्री चाण्क्य नें भारत के इतिहास में आर्थिक और सामाजिक बदलाव किया। चन्द्रगुप्त के शासन काल में भारत को प्रभावशाली और नौकरशाही की प्रणाली अपनाने वाले भारत के रूप में जाना जाता है। इनके शासन में अपनसी एकता होने से आर्थिक स्थिति बहुत ही मजबूत थी। आज मौर्य साम्राज्य की स्थपना के लिए मा0 बाबू सिंह कुशवाहा भी समाज के लिए संघर्ष करर रहे हैं।

श्री अरविन्द कुशवाहा जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा नें कहा चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता नंदा और माता का नाम मुरा था मुरा अपने भाईयों के साथ कुसुमपुर पाटिलपुत्र जहां चन्द्रगुप्त को जन्म दिया। उसके मामाओं नें सुरक्षा के लिहाज से चन्द्रगुप्त को गोशाला में छोड़ दिया था जहां उसे एक गडरिया नें अपने पुत्र की तरह पालप पोषण किया। बड़े होने पर एक शिकारी के हांथ बेच दिया था। जिससे वह गाय भैंस चरानें का काम करने लगे। एक साधारण से चरवाहे नें राजकीलम नामक एक खेल का अविष्कार कर जन्म जात नेता होने का परिचय दिया। इय खेल में वह राजा बना था अपने साथियों को अपना अनुचर बनाते, राज्य सभा भी आयोजित कर न्यााय करते चाण्क्य नें पहली बार चन्द्रगुप्त को देखा था और उस बालक में अखण्ड़ भारत के निर्माता को देख कर उसकी शिक्षा दीक्षा दी और ज्ञानी बुद्धिमान समझदार महापुरुष बनाया, एक शासक के सारे गुण से निपुण कर दिया।

श्रीमती उमा कुशवाहा जिलाध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ जन अधिकार पार्टी बांदा नें कहा चन्द्रगुप्त मौर्य की पहली पत्नी दुर्धरा थी जिससे बिन्दुसार पैदा हुए। दूसरी सेलुकस निकेटक की पुत्री पत्नी हेलना थी। हेलना के पुत्र का नाम जस्टिन था। तीसरी पत्नी नन्दनी थी। चन्द्रगुप्त मौर्य व चाडक्य नें इतना बडा एम्पायर खड़ा किया अपनी हार से सीखते हुए महान यौद्धा और चक्रवर्ती सम्राट बनें। इनसे आज के युवा बहुत सी बातें सीखते हैं। भारतीय इतिहास के महान शासक को कोटिकोटि नमन है। कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी समाज के ही नहीं पूरे पिछड़ी कौमों के लोग भारत में महानायक के रूप में बाबू सिंह कुशवाहा के अपना नेता मानकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना के लिए संकल्प लिया।

इसी प्रकार कुशवाहा महासभा बांदा, तरुण विकास संस्थान बदौसा बांदा, बबेरू, विसण्डा कस्बे में भी चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की 2362 जन्मोत्सव मनाते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प देहराया गया। इस अवशर पर कुलदीप कुशवाहा, शौरभ पाल मण्डल अध्यक्ष युवा मोर्चा, रामबरन कुशवाहा, शौलेन्द्र सिंह, अजुर्न सिंह, होरीलाल प्रजापति, बिजय पाल कुशवाहा, गिरधारी लाल कुशवाहा, धनीराम बल्दानी पूर्व राज्यंत्री आदि मौजूद रहे।

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