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मुंबई ( अजय तिवारी ) बीएमसी पर कब्जे के बहाने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत दिख रहे हैं। बीएमसी में मेयर पद के चुनाव के लिए शिवसेना-बीजेपी के बीच बात न बनती देख कांग्रेस की भूमिका अहम हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवसेना बीएमसी के लिए कांग्रेस के संपर्क में है। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ने इसके लिए कांग्रेस को डेप्युटी मेयर के पद का ऑफर किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के विश्वस्त सूत्रों ने कांग्रेस से मुलाकात भी की है। हालांकि कांग्रेस इस संभावित गठबंधन में बाहर से सहयोग का मन बना रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र कांग्रेस के चीफ अशोक चव्हाण ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इसमें मुंबई कांग्रेस चीफ संजय निरुपम भी शामिल हुए। हालांकि निरुपम ने बीएमसी में हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है।
कांग्रेस के विधायक अब्दुल सत्तार ने सीधे तौर पर इस नए गठबंधन की संभावना के संकेत दिए हैं। अब्दुल सत्तार ने कहा कि शिवसेना की तरफ से समर्थन का प्रस्ताव मिलने के बाद पार्टी इसपर फैसला करेगी। उन्होंने कहा कि शिवसेना को न केवल मुंबई बल्कि दूसरे नगर निकायों में समर्थन के लिए भी पार्टी आलाकमान को प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
हालांकि खुद महाराष्ट्र कांग्रेस में इस मुद्दे पर एक राय नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदाम कामत ने इस संभावित गठजोड़ का विरोध किया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने इस संदर्भ में आलाकमान से संपर्क भी साधा है। कांग्रेस के सांसद मिलिंद देवड़ा भी इस गठबंधन के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को विपक्ष में ही रहने की वकालत की है। उनका कहना है कि अगर कांग्रेस शिवसेना का साथ देती है तो यह उसकी सेक्युलर फैब्रिक के लिए सही नहीं होगा
कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने शिवसेना से संभावित गठजोड़ के लिए उसे बीजेपी से नाता तोड़ने को कहा है। अगर नए समीकरण बने तो इसमें फडणवीस सरकार भी खतरे में पड़ सकती है। बीएमसी चुनावों में शिवसेना और बीजेपी को क्रमश: 84 और 82 सीटें मिली हैं। बीएमसी में कुल 227 सीटों पर बहुमत के लिए 114 सीटें होनी जरूरी हैं। ऐसे में कांग्रेस 31 सीटें पाकर भी किंगमेकर की संभावित भूमिका में आती दिख रही है। 4 निर्दलीय नगरसेवक पहले ही शिवसेना को अपना समर्थन दे चुके हैं।
उधर, सूबे की सरकार से अगर शिवसेना समर्थन वापस लेती है तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए समीकरण का जन्म हो सकता है। बताया जा रहा है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने इसको लेकर एक नई युक्ति सुझाई है। विधानसभा में शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42 और एनसीपी के 41 विधायक हैं। इन तीनों के मिलने से यह संख्या 146 हो जाएगी। सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए। फिलहाल बीजेपी के 122 और शिवसेना के 63 विधायकों के योग से फडणवीस सरकार चल रही है।

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