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लोगों को सेहतमंद जीवनशैली अपनाने और बचाव के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच करवाने के लिए
जागरूक करने पर दिया गया ज़ोर

मुंबई, 20 दिसंबर 2016: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मुंबई में मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम का आयोजन किया जिसमें भारतीय लोगों में तेज़ी से बढ़ रहे दिल के रोगों के बारे में चर्चा करने के साथ ही कार्डियालॉजी प्रेक्ट्सि के लक्ष्यों की पूर्ति के महत्व पर भी विचार किया गया। इस गेट टू गोल नामक सीमएई में शहर के 75 प्रमुख डॉक्टरों ने भाग लिया।

पश्चिमी और एशियाई मुल्कों में 2020 तक दिल के रोग मौत का प्रमुख कारण बनने वाले हैं। भारत में दिल के रोग एक चैथाई मौतों का कारण बने हुए है और यह बीमारियों और छोटी उम्र में मौत का प्रमुख कारण बन रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को इसके कारणों और लक्ष्णों के बारे में जानकारी ही नहीं है।

यूएसवी से प्राप्त अनकंडीशनल ग्रांट के तहत आईएमए पूरे भारत में ऐसे कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करेगा। जिसका मकसद 30 प्रदेशों में आईएमए की 1700 शाखाओं के ढाई लाख सदस्यों को छह महीने के अंदर दिल से संबंधित रोगों के बढ़ते मामलों के बारे में जागरूक करना है।

सीएआई को संबोधित करते हुए न्यू एज वोकहार्ट हॉस्पिटल, मुंबई सेंट्रल के चीफ कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रतीक कुमार सोनी ने कहा कि भारत में दिल के रोगों के खि़लाफ जंग में सबसे बड़ी मुश्किल लोगों में इसके चेतावनी संकेतों के बारे में जागरूकता की कमी के साथ साथ मेडिकल ढांचे की कमी है। सीने में असहजता, भारीपन, दर्द, जलन, सांस फूलना, धकधकी, असामान्य धड़कन, बेचैनी, चक्कर आना और अचानक बेहोश हो जाना इसके संकेत होते हैं। इन संकेतों के बारे मे सतर्क होना आवश्यक है, क्योंकि अगर इन्हें जल्दी पहचान लिया जाए तो इनको संभालने के कदम तुरंत उठाए जा सकते हैं और सेहत में बेहतर सुधार हो सकता है। जिनके परिवार में पहले से दिल के रोग, डायब्टीज़ और हाईपरटैंशन हो उनके लिए यह और भी ज़रूरी है।

इस बारे में और जानकारी देते हुए आईएमए के नैशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल और सीमएई के नैशनल कोर्स कोर्डिनेटर डॉ प्रफुल्ल केरकर ने बताया कि दिल के रोगों का एक प्रमुख कारण है हाईपरटैंशन जिसे आम तौर पर हाई ब्लड प्रैशर कहा जाता है। यह 25 साल व उससे ज़्यादा के 3 में से 1 युवा को प्रभावित कर रहा है। पूरी दुनिया में इससे 1 बिलियन लोग पीड़ित हैं। यह दिल के रोगों और स्ट्रोक का प्रमुख कारक है जो छोटी उम्र में मौत का सबसे प्रमुख कारण बनता है। जागरूकता की कमी और शुरूआती लक्ष्णों को नज़रअंदाज़ करना, उचित मेडिकल ढांचे और कुशल मेडिकल पेशेवरों की कमी कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जो देश को दिल के रोगों से मुक्त करने में बाधा बनी हुई हैं।

आईएमए के प्रिंसीपल एडवाईज़र डॉ एस कामत और मुंबई शाखा के प्रेसीडेंट डॉ योगेश शाह ने कहा कि हमारी जीवनशैली हमारी सेहत पर गहरा प्रभाव डालती है यही बात दिल के लिए भी सच है। परिवार में पहले से डायब्टीज़ होना, धुम्रपान, शराब का सेवन, पेट का मोटापा, शारीरिक कसरत की कमी और कई मानसिक-सामाजिक कारक हैं जो दिल के विकारों को बढ़ाने के लिए खतरा बन जाते हैं। अगर उनकी जीवनशैली में तब्दीली कर दी जाए तो सेहत में सुधार हो सकता है। हमें ख़ुशी है कि डॉक्टरों और आम लोगों को शिक्षित करने के लिए यह कदम उठाया गया है ताकि समस्या का जल्दी पता लगाया जा सके और इलाज हो सके और कई कीमती जानें बचाई जा सकें।

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