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नालासफाई मामला
न्यायालय में मनपा का पक्ष न रखनेवाले 4 अधिकारियों को मनपा की नोटिस 
संवाददाता
मुंबई । मनपा द्वारा मानसून के दौरान नालासफाई काम में बड़े प्रमाण में भ्रष्टाचार किया गया है । इस मामले की जांच के बाद दोषी ठेकेदारों को काली सूचि में डालने का आदेश आयुक्त ने दिया था। जिसके खिलाफ ठेकेदारों द्वारा उच्च न्यायलय में गुहार लगाई गयी थी । इस दौरान ठेकेदारों को काली सूचि में डालने के मनपा के निर्णय को स्टे मिलने से मनपा को मुंह की खानी पड़ी है । जिसके बाद 4 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजने का आदेश मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने दिया है ।   
         गौरतलब है कि मनपा द्वारा मानसून के दौरान तीन चरणों में किया जाता है । इस वर्ष नालासफाई काम में कीचड़ निकालने में भ्रष्टाचार होने का आरोप सत्ताधारी भाजपा सहित विधि पक्षों द्वारा किया गया था । नालेसफाई में भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप होने के बाद मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने मामले की जांच करने का आदेश दिया था । जिसके बाद मनपा के 14 दोषी अधिकारियों को निलंबित किया गया साथ ही ठेकेदारों को काली सूचि में डालने का आदेश आयुक्त ने दिया था । नालेसफाई मामले में 23 भ्रष्ट ठेकेदारों को काली सूचि में डालने का आदेश दिया था । मनपा आयुक्त द्वारा ठेकेदारों का पक्ष सुने बिना ही निर्णय देने का स्पष्ट कर ठेकेदारों द्वारा उच्च न्यायलय में गुहार लगाईं गयी थी । न्यायालय ने ठेकेदारों को काली सूचि में डालने के आयुक्त के निर्णय पर स्टे लगा दिया है । नालेसफाई मामले के भ्रष्ट ठेकेदारों को न्यायलय से स्टे मिलने से मनपा प्रशासन को मुंह की खानी पड़ी है । न्यायलय में मनपा का पक्ष रखने में मनपा के विधि विभाग के अधिकारी असफल हुए है । मनपा का पक्ष सही तरीके से न रखने के कारण मनपा की हार हुई है । जिसे देखते हुए मनपा में उप विधि अधिकारी अरुणा सावला, सहायक विधि अधिकारी विनोद महाडिक, मोनिटरिंग व रजिस्ट्रेशन विभाग के सहायक इंजिनियर वैभव बोरकर व कार्यकारी इंजिनियर अनिल जाधव को कारण बताओ नोटिस देने का आदेश मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने दिया है । 

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