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मुंबई की झोपड़पट्टीयों में रहने वाले बच्चों की हालत दयनीय
क्राई द्वारा तैयार रिपोर्ट में हुआ खुलासा
41 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन के हैं
मुंबई। 6 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच क्राई द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार मुंबई की झोपड़पट्टीयों में रह रहे 6 साल से कम उम्र के 41 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन के होने का खुलासा हुआ है। कुपोषण के अन्य संकेतक के संदर्भ में भी बच्चों की हालत कहीं से भी बेहतर नहीं है। उनमें से 19 प्रतिशत बच्चे शारीरिक रुप से कमजोर पाएं गए हैं, जबकि 71 प्रतिशत बच्चे अविकसित पाएं गए हैं। जो कि वर्ष 2005-06 में प्राप्त 47 प्रतिशत के एनएफएचएस आंकडे की तुलना में काफी अधिक है। यह बात क्राई पश्चिम की क्षेत्रिय निदेशक, क्रियाने रबाड्डी ने कही। 
   मुंबई प्रेस कल्ब में आयोजित पत्रकार परिषद में क्रियाने रबाड्डी ने कहा कि मुंबई की झोपड़पट्टीयों में रहने वाले बच्चों के टीकाकरण का कवरेज उम्मीद से भी बदतर है। तीन वर्ष से कम उम्र के लगभग आधे बच्चों 49 प्रतिशत को पूरी तरह से सभी टीके लगाए गए हैं। 51.4 प्रतिशत पूर्ण रुप से टीकाकरण प्राप्त लड़कों की तुलना में मात्र 45.3 प्रतिशत लड़कियों को ही टीके लगाएं गए हैं। इससे लिंग असंतुलन देखनों को मिलता है। मुंबई में 62 प्रतिशत माता-पिता को अपने बच्चे कुपोषित है उसकी जानकारी नहीं थी। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि 27 प्रतिशत से भी अधिक माता-पिताओ का कहना था कि आंगनवाडी के कार्यकर्ता नियमित रूप से विकास की निगरानी नहीं करते हैं। जबकि 19 प्रतिशत बच्चों को विटामिन ए की खुराक प्राप्त नहीं हुई है। 27 प्रतिशत बच्चों को डी-वर्म(अकृमिकृत) नहीं किया गया। 40 प्रतिशत बच्चों को आइएफए की टैबलेट्स नहीं मिली है। 27.7 प्रतिशत बच्चों को डी-वर्म(अकृ मिकृत ) नहीं किया गया है।
  रबाड्डी ने कहा कि क्राई दृढ़ता से अनुशंसा करता है कि बच्चों को स्वास्थ्य, पोषण और देखभाल उनके हक के रूप में प्रदान की जानी चाहिए। इन बच्चों की पोषण सुरक्षा को तत्परता के साथ संबोधित किया जाना चाहिए। शहरी झोपड़पट्टीयोंे की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था, जहां जीविका के लिए, माता और पिता, दोनों ही काम करने के लिए मजबूर है।     

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