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अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर, हर जुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है, जिसे लोग शहनशाह कहते हैं...।’ यह पंक्तियां सदी महानायक की संज्ञा प्राप्त कर चुके अभिनेता अमिताभ बच्चन की उस फिल्म से ली गई है जिसमें उन्होंने एक शहंशाह की भूमिका निभाई थी, जो एक मसीहा के रूप में अंधेरी रातों में निकलकर लोगों पर होने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाते हुए जंग लड़ता है। कहा जाता है कि फिल्में हमारे समाज का आईना होती है और उसमे वहीं दिखाया जाता है जो अकसर समाज में घटित होता है। मौजूदा दौर में उत्तराखण्ड की राजधानी में भी एक ऐसा ही मसीहा उभर कर सामने आ रहा है जिसने अपनी पूरी दिनचर्या जनसेवा के लिए समर्पित कर रखी है। वैसे तो हमारे समाज के बारे में कहा जाता है कि वह पुरूष प्रधान समाज है लेकिन इन तथाकथित तर्काें को दरकिनार करते हुए एक महिला पुलिस अधिकारी ने जनता के प्रति अपने समर्पण और कर्तव्यों के प्रति अपनी निष्ठा से यह साबित कर दिया है कि जिम्मेदारियों के निर्वाह्न में महिलाएं भी पुरूषों से पीछे नहीं है। हम बात कर रहे है दून की एसपी सिटी श्वेता चौबे की जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आवाम के बीच में पुलिस का मानवीय चेहरा पेष किया है। दिन हो या रात एसपी सिटी जनता की सेवा तथा लोगों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए साफ नजर आ जाती है। बरेली की बुलेट पर बैठकर जब एसपी सिटी शहर की सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए निकलती है तो लोग यह कहने से नहीं चूकते कि, ‘वो देखो, दून की हिफाज़़त के लिए लेड़ी शहंशाह श्वेता मैडम निकल चुकी है’। शहर में लॉकडाउन का पालन कराने से लेकर कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिए एसपी सिटी दिन रात मैदान में उतरी हुई है और उन्होंने अपनी टीम को अलर्ट कर रखा है कि शहर में न तो कोई भूखा सोएगा और न ही कोई लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करेगा। श्वेता की टीम से जुड़ा हरेक पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी उनकी कार्यशैली का मुरीद हो रखा है और यहीं कारण है कि वह यह कहने से नहीं चूक रहे कि यह उनके लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं है कि उन्हें श्वेता मैडम के साथ काम करने का मौका मिला है।

कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो रखा है। उत्तराखण्ड  में लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए सरकार ने कमर कस रखी है। राजधानी दून की सड़कों पर कोई भी लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन ने करें इसकी जिम्मेदारी सरकार ने जिला व पुलिस प्रशासन को सौंप रखी है। शहर की एसपी सिटी श्वेता चौबे ने अपनी पुलिस टीम को यह निर्देश दे रखे है कि विपदा की इस घड़ी में न तो कोई भी जरूरतमंद भूखा सोए और न ही कोई लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर सके। एक जनसेवक की भूमिका निभाने के साथ साथ श्वेता चौबे अपने एसपी होने के कर्तव्यों को भी पूरी तरह निभा रही है और वह शहर की कानून व्यवस्था को परखने के लिए दिन रात दून की सड़कों पर गश्त करती हुई देखी जा सकती है। पिछले दिनों यह भी देखने को मिला कि दून की एसपी सिटी बुलेट पर सवार होकर शहर की व्यवस्थाओं को परखने के लिए निकली और इस दौरान उन्होंने रास्ते में पड़ने वाली हर पिकेट व चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों से उनके क्षेत्र का जायजा लिया। अपनी ड्यूटी के प्रति श्वेता की कर्तव्यनिष्ठा उनके अधिनस्थों से लेकर कई औरों के लिए भी मिसाल बन चुकी है। शहर में अपराधों का ग्राफ गिराने और बदमाशों के दिलों में खाकी का खौफ कायम करने के लिए एसपी सिटी मैदान में उतरी हुई है। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला जब कोई महिला पुलिस अधिकारी बुलेट पर सवार होकर दिन रात शहर की सड़कों पर गश्त मारकर यह परखने को उतरी हो कि कहीं कोई बदमाश अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में तो नहीं है? शहर में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए एसपी सिटी के अनोखे प्रयोग हमेशा ही कारगर सिद्ध हुए है और इन प्रयोगों के चलते दून पुलिस को बदमाशों को पकड़ने में काफी कामयाबी मिली है। यहीं कारण है कि पुलिस के कई आला अधिकारी भी एसपी सिटी की कार्यशैली के मुरीद हो रखे है। वहीं पुलिस का मानवीय चेहरा आवाम के सामने रखने में जिस प्रकार से एसपी सिटी ने कामयाबी हासिल की है वह मित्र पुलिस के तमगे को भी सार्थक सिद्ध कर रहा है।

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