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 संवाददाता, भिवंडी।भिवंडी मजदूर बहुल्य शहर है जहां जगह-जगह कोचिंग क्लासेस कुटीर उद्योग की तरह फल-फूल रहे हैं। जो छात्रों से फीस के नाम पर भारी भरकम रकम तो वसूल करते  हैं  लेकिन उनके यहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं हैै। यहां तक की कोने-कपरे एवं ऊंची-ऊंची इमारतों में कोचिंग क्लासेस होने के बावजूद छात्रों की सुरक्षा का न तो कोई बंदोबस्त है और न ही उन्होंने अग्निशमन विभाग से कोई अनुमति ही प्रााप्त किया है। 
   गौरतलब है कि भिवंडी में लगभग पांच सौ से भी अधिक छोटे-बड़े कोचिंग क्लास धड़ल्ले से संचालित  हैं। शहर के धामनकरनाका,कामतघर, ब्राह्मणआली एवं वंजारपट्टी नाका, गैबीनगर, कल्याण रोड आदि क्षेत्रों में संचालित कई ऐसे कोचिंग क्लासेस हैं जिनके पास लगभग पांच सौ से आठ सौ बच्चे पढ़ते हैं। जिनका केवल एचएससी का पॅकेज ही दो से ढाई लाख के आसपास है, लेकिन ऐसे कोचिंग क्लासों में छात्रों के लिए किसी भी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। कई कोचिंग क्लासों में छात्रों के लिए पीने का पानी एवं ट्वायलेट तक की सुविधा भी नहीं हैं। इसके बारे में जब संस्कार कोचिंग क्लास के मालिक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके यहां छात्रों के लिए ट्वायलेट तो है लेकिन कुछ क्लासों को छोड़कर अधिकांश क्लासों में ट्वायलेट की व्यवस्था नहीं है।
  बताया जाता है कि शहर में सबसे अधिक कामतघर,धामनकरनाका,ब्राह्मणाली एवं वंजारपट्टी नाका के पास कोचिंग क्लास संचालित  हैं जिसमें कामतघर में तो जगह-जगह बिना किसी अनुमति के धड़ल्ले कोचिंग क्लास चलाए जा रहे हैं। यदि यह कहा जाये कि कामतघर में कोचिंग कलालेस कुटीर उद्योग की तरह घर-घर चल रहे हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसी प्रकार विद्या नगरी के नाम से प्रसिद्ध धामनकर नाका क्षेत्र में आमने-सामने स्थित दो-तीन इमारतों में लगभग चार दर्जन कोचिंग क्लास संचालित हैं जिनके पास बच्चे तो भरपूर हैं लेकिन उनके पास छात्रों के लिए कोई सुविधा एवं सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। ब्राह्मणाली क्षेत्र में जगह-जगह कोचिंग कलालेस चलाये जा रहे हैं, मुंबई के एक प्रकाशक के अनुसार भिवंडी में सैकड़ों कोचिंग कलालेस संचालित हैं जो अपने नाम से नोट्स छपवाते हैं और उसे छात्रों को देते हैं, हालांकि इस नोट्स का पैसा कोचिंग क्लास चलाने वाले बड़ी चालाकी से पहले ही ले लेते हैं।       
   उक्त प्रकार से चलने वाले कोचिंग क्लासों के मालिकों ने सुरक्षा की दृष्टि से आगजनी जैसी घटनाओं से बचने के लिए न तो अग्निशमन यंत्र लगाया है और न ही अग्निशमन विभाग से कोई एनओसी आदि प्राप्त किया है। भिवंडी में चलने वाले कोचिंग क्लासों द्वारा अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के संबंध में जब मनपा अग्निशमन विभाग के प्रमुख डी.एन.साल्वी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि एक भी कोचिंग कलालेस ने न तो अग्निशमन विभाग की एनओसी लिया है और न ही अग्निशमन की एनओसी के लिए प्रार्थना पत्र ही दिया है। डी.एन.साल्वी ने बताया कि सूरत की घटना को ध्यान में रखते हुये भिवंडी के कोचिंग क्लासों की जांच पड़ताल की जा रही है। 
मनपा अग्निशमन विभाग के प्रमुख डी.एन.साल्वी ने बताया कि भिवंडी मनपा अग्निशमन विभाग में आगजनी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए संसाधनों सहित कर्मचारियों की भारी कमी है। भिवंडी अग्निशमन विभाग में केवल तीन गाड़ियां है और उन तीन गाड़ियों के लिए केवल 50 फायरमैन हैं, जबकि 50 हजार की जनसंख्या पर कम से कम एक गाड़ी और एक गाड़ी पर तीनों शिफ्टों में काम करने के लिए 21 फायरमैन होना चाहिए। भिवंडी शहर की जनसंख्या केवल सात लाख है इसके अनुसार कम से कम 14 गाड़ियां और उस पर तीनों शिफ्टों में काम करने के लिए 294 फायरमैन होना चाहिए। लेकिन इस समय दो गाड़ियों के फायरमैन तीन गाड़ियों पर काम कर रहे हैं, जबकि मजदूर बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण भिवंडी की जनसंख्या 12 लाख से अधिक है और उसके साथ ही भिवंडी तालुका में लगभग बीसों किलोमीटर में फैला हुआ यहां का गोदाम क्षेत्र भी है, जहां आए दिन आगजनी की घटनाएं घटित होती रहती हैं। उन्होंने बताया कि अगले पांच महीने में वह सेवामुक्त हो रहे है इसके अलावा कई अन्य फायरमैन भी सेवामुक्त होने के कगार पर हैं जिसके लिए भिवंडी अग्निशमन विभाग में गाड़ियों के साथ फायरमैनों की भर्ती करना अतिआवश्यक है, जिसे प्रशासन को गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है।         

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