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मोहम्मद रिजवान मोहम्मदी खीरी

लखीमपुर खीरी, कस्बा मोहम्मदी पॉलीथिनके इस्तेमाल पर पाबंदी पर उठने वाला शोर काफी हद तक मंद चुका है। ऐसे में गांधी जयंती के मौके पर इसे पूरी तरीके से पाबंदी किये जाने की उम्मीदें धरातल पर बेबुनियाद नजर आयीं। जिला मुख्यालय से ग्रामीणांचल तक बाजारों में पॉलीथिन धड़ल्ले से दौड़ रह है दौड़ लगा रही है। उधर अधिकारी भी चंद दिनों की चौकसी दिखाने के बाद फिलहाल खामोश बैठे हैं व कुंभकरण की नींद सोए बैठे हैं सिर्फ गांधी जयंती पर कुछ दुकानदारों के चालान करके झूठी वाहवाही लूट के व फोटो करवा कर अपने दफ्तरों में या घर पर एल्बम में लगा कर सजावट किए बैठे हैं। वहीं दूसरी तरफ कई सरकारी अधिकारी वह आजकल एक लंबे कद काठी का हर वक्त मूछों पर आप खेलने वाला सरकारी अधिकारी शाम के वक्त रेडी वालों से अपने बच्चों के लिए फल फ्रूट वह सब्जी खरीदते हुए देखा जा सकता है जो पॉलीथिन की चालान की धमकी देकर इनसे माल 3 ता है वह पैसे तक नहीं देता है दबी जुबान में एक ठेले वाले ने बताया क्या करे बाबू जी बच्चे पालने हैं अगर 2 किलो केले वह घर की सब्जी ले जाता है तो हमारे कोई फर्क नहीं पड़ता इन्हीं की बदौलत लखीमपुर खीरी कस्बा मोहम्मदी में पॉलीथिन योन पर बिक रहा है वह मार्केट में चल रहा है प्रदेश सरकार से पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने को ढाई माह का वक्त गुजर चुका है। बावजूद इसके 90 प्रतिशत दुकानदार व ग्राहक इसका धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं कि कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन चंद दुकानदारों के पास से पॉलीथिन की बरामदगी के बाद विभाग ने सख्ती दिखाना मुनासिब नहीं समझा। जिस नगर पालिका व जिला प्रशासन पर प्रतिबंध पर अमल कराने का दायित्व है, उनके अधिकारी फिलहाल उदासीन बने हैं। राज्य सरकार ने मई माह के चौथे सप्ताह के प्रारंभ में पॉलीथिन पर प्रतिबंध संबंधी आदेश जारी किया था। बाजार में प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग बंद होना तो दूर कम तक नहीं हुआ है। शहर में सब्जी मंडी से लेकर नाश्ते, मिठाई, दूध डेयरी, जनरल स्टोर, किराना स्टोर, कपड़े की दुकान आदि पर पॉलीथिन का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है

-दुकानदार बोले निर्माण नहीं रुक सकता

लखीमपुर खीरी : इस बारे में दुकानदारों का कहना है कि पॉलीथिन का उपयोग तो सरकार ने बंद कर दिया है, लेकिन इसका विकल्प वह अभी तक नहीं दे पायी है। पॉलीथिन कैरी बैग का विकल्प क्यों नहीं? पॉलीथिन पर प्रतिबंध की घोषणा सरकार ने छह माह से अधिक समय पहले कर दी थी, लेकिन तब से लेकर अब तक सरकार ने कैरी बैग के विकल्प पर कोई ध्यान नहीं दिया है। यही वजह है कि प्रतिबंध के बाद लोगों को पॉलीथिन के विकल्प का अब तक इंतजार बना हुआ है। ऐसे में पॉलीथिन का प्रतिबंध के बाद भी इस्तेमाल हो रही है। इसके अलावा इसके निर्माण पर पाबंदी लगाने जरूरत है

-जनमानस की नहीं बदली मानसिकता-

लखीमपुर खीरी पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार सरकार ने तो पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन आम लोग अभी तक इसके लिए तैयार नहीं हुए हैं। वे आज भी बिना थैला लिए घर से निकलकर बाजार आ रहे हैं। जबकि होना यह चाहिए कि आम आदमी घर से थैला लेकर आए। आमजन को खुद भी अपनी मानसिकता में बदलाव करना होगा।




-पर्यावरण में घुल रहा जहर-




लखीमपुर खीरी : कस्बा मोहम्मदी प्रतिबंध के बाद भी बड़े पैमाने पर पॉलीथिन का इस्तेमाल हो रहा है। पॉलीथिन सब्जी मंडी, हाथ ठेलों, किराना, मीट, चाट-पकौड़ी की दुकानों में उपयोग होकर प्रदूषण का कारण बन रही है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में करीब क्विटल के हिसाब से पॉलीथिन नालियों से निकलती हुई नदी में समा रही हैं। नगर पालिका लखीमपुर खीरी कस्बा मोहम्मदी द्वारा सड़क के किनारे फेंक जा रहे कूड़ों में प्लास्टिक जलायी जा रही है। इससे पानी और हवा दोनों में जहर घुल रहा है।

प्लास्टिक कैरी बैग को रोकने की अपील करते हुए इससे हानि के बारे में बताया गया।

पॉलीथिन पर पाबंदी को लेकर मनमानी करने वालों के खिलाफ आज से ही सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके इस्तेमाल पर पहले की रोक लगायी जा चुकी है, तथा व्यापारी इससे भली-भांति परिचित भी हैं। लिहाजा किसी प्रकार की राहत अब देने की गुंजाइश नहीं है। उपजिलाधिकारियों को सघन निरीक्षण का निर्देश दिया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो जिलास्तरीय अधिकारियों को भी लगाएंगे।

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