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-एक हि नारा एक जंग
-जीना मरना लालू जी के संग
 - हम क्यों चाहते हैं लालू यादव को

सन् 1990 के बाद सामाजिक क्रांति का दौर चला जिसका नेतृत्व लालू यादव ने ही किया| गरीबों के ध्वस्त मनोबल को उन्होंने उठाया , लोगों को बोलने की आजादी दी| राज्य को सांप्रदायिक दंगों से बचाया| पिछड़े वर्ग के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू करवाने का काम किया| जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएँ सुनते और उनका निराकरण करते| गंगा नदी और दूसरी नदियों में मछली पकड़ने पर लगे टैक्स को समाप्त किया|  सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के लिए चुनौती बनने वालों का मनोबल ध्वस्त किया| उनके इन सब कार्यों से गरीबों को बल मिला| खटिये पर बैठने को लेकर हुए विवाद में अनेक कुशवाहा जाति के लोगों की हत्या के बाद उनके परिवारजनों को एक- एक लाख की राशि के साथ सरकारी नौकरी भी दी| रेलवे में मिट्टी के बर्तनों का प्रचलन बढ़ा और गरीब रथ जैसी वातानुकूलित ट्रेन चली| दुर्घटनाएँ रूक सी गईं और रेलवे का मुनाफा बढ़ गया|
आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी में उनकी चर्चा हुई और उन्हें मैनेजमेंट गुरु कहा गया|
लालू यादव एक व्यक्ति नही बल्कि एक विचारधारा का नाम है|
उपरोक्त के कारण बिहार में लालूजी अजेय राजनैतिक योद्धा बन गए और देश विदेशों की सुर्खियाँ बने।देश की राजनीति के इस मजबूत स्तम्भ को कमजोर करने के लिए विरोधीयों ने इनकी कमजोरियाँ खोजनी शुरू कर दी।मगध के इस चन्द्रगुप्त के तबके चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार के रूप में सामाजिक न्याय के दुश्मनों को पहली कमजोरी हाथ लगी जिनके पास जनाधार नहीं था परन्तु वे अतिमहत्वाकांक्षी थे।नीतीश ने लालूजी के सामाजिक न्याय के मजबूत ताने बाने को यादव -गैर यादव के गन्दे हथियार से छिन्न भिन्न करने के उद्देश्य से कुर्मी सम्मेलन बुलाया और बाद में पिछड़ा अति पिछड़ा ,दलित महादलित को बाँटकर मण्डल के इस महायोद्धा को आखिरकार संघ की मदद से परास्त कर दिया।किन्तु ईमान के पक्के शहाबुद्दीन साहब की रहनुमाई में मुस्लिम समाज ने लालूजी का साथ कभी नहीं छोड़ा।नीतीश के बाद राम विलास पासवानने भी बेटे के सत्तामोह में सामाजिक न्याय को धोखा दे दिया।किन्तु एक अपराजेय योद्धा की मानिंद लालूजी अकेले संरदायिकता के खिलाफ लड़ते रहे और लड़ रहे हैं।उधर देश केभाईचारा और मण्डल के दुश्मनों ने लालूजी को बदनाम करके कमजोर करने की रणनीति जारी रखी।परन्तु बिहार की शांतिप्रिय जनता ने गाँधी मैदान पटना और भगलपुर में जमा होकर अपने रहनुमा को अन्याय ,झूठ ,फरेब और भाईचारे के दुश्मनों से लगातार लड़ते रहने की प्रेरणा दी।मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है,वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है।

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