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समस्तीपुर,  हिंदुस्तान की आवाज,राजकुमार राय

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निश्चित तौर पर दो तीन बङा फैसला समाज हित में लिया जिसमें शराब बंदी कानून और दहेज एवं बाल विवाह शामिल है। मुख्यमंत्री का न्याय के साथ विकास का नारा भी कुछ दिनों तक सही चला और जनता नीतीश कुमार जी से उम्मीद भी लगा बैठी थी। लेकिन हालिया फैसला नीतीश कुमार ने कहीं न कहीं जन-हित के खिलाफ लिया और भाजपा का दामन थाम लिया जिससे अमन पसन्द जनता में आक्रोश पाया जा रहा है। बिहार एक अमन पसन्द राज्य में शुमार होता है यहाँ कुछ दिनों से फासीवादी ताकत और साम्प्रदायिक शक्तियाँ जहर फैलाने, समाज को बाँटने और देश में चल रहे जातिवाद एवं धर्म के नाम पर नंगा खेल को बिहार में खेलने का लगातार प्रयास जारी है। टेलर के तौर पर अररीया, दरभंगा और भागलपुर को देख सकते हैं जहाँ अमन के माहौल को बिगाड़ने और दंगा भङकाने के लिए गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे और नित्यानंद नन्द ने दौरा कर माहौल को बिगाड़ दिया था। जिसे निष्पक्ष और होशियारी के साथ पुलिस प्रशासन और जनता ने नाकाम कर दिया। अभी बिहार के अमन के माहौल को बिगाड़ने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार ने गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे और नित्यानंद को खुली छूट दे रखी है और ऐसे में जनता को यह लगने लगा था कि नीतीश जी भाजपा के सामने नतमस्तक हो चुके हैं लेकिन बिहार दिवस के अवसर मुख्यमंत्री नीतीश जी का ब्यान और उससे कबल दो दिन पहले का ब्यान कि हम बिहार के अमन के माहौल को बिगाड़ने वाली किसी भी ताकत को पनपने नहीं देंगे और ना ही मैं इस मामले में किसी नेता या पार्टी के आगे झुकने वाला हूँ। यकीनन ऐसा लगा कि यह नीतीश कुमार पिछले वर्ष वाला नीतीश कुमार बोल रहा है। रामनवमी को लेकर भी बिहार की जनता से अमन के माहौल में मनाने की अपील भी सरहनीय है हम उम्मीद करते हैं कि नीतीश जी भी फासीवादी ताकत को उखाड़ फेंकने के लिए एकबार और कुरबान होने की आवश्यकता पङी तो वह पीछ नहीं हटेंगे जैसा वह हमेशा कहते भी रहते हैं। बेहतर भी यही लगता है कि समय रहते नीतीश जी सही फैसला लें और बिहार से फासीवादी ताकत को उखाड़ फेंकें।

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