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-पुलिस विभाग आईएएस अधिकारी को पूर्ण रूप से सौंप देना चाहिएः सुषील दुबे

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। रक्षक कल्याण ट्रस्ट द्वारा संचालित अराजपत्रित पुलिस वेलफेयर संस्थान आईपीएस संघ के विरोध में उतर पड़ा है। यहां संस्थान के प्रवक्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि पुलिस विभाग आईएएस अधिकारी को पूर्ण रूप से सौंप देना चाहिए। ताकि इनकी कार्यषैली के साथ-साथ अन्य में काफी सुधार हो सके। प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा है कि आईपीएस अधिकारी जबरियां जवानों पर अपना मनमाना आदेष थोंपते है आईपीएस अपने अधिकारी और कर्मचारियों का षोषण करते हैं। यदि आईएएस अधिकारी पुलिस विभाग पर अपना कंट्रोल रखे तो जवानों का षोषण बंद हो जायेगा। मंगलवार को संस्थान की हुई बैठक में बोलते हुए मंडल प्रवक्ता सुषील कुमार दुबे ने कहा कि यदि आईएएस अधिकारी द्वारा पुलिस विभाग के कार्यो का संपादन, देखरेख कराया जाय तो पुलिस के जवानों द्वारा पारदर्षी एवं सही मनोयोग के साथ कार्य किया जायेगा वहीं उनका षोषण भी थम जायेगा। उन्होंने तर्क दिया है कि आईएएस अधिकारी में पूर्णरूपेण मानवता और सहनषीलता की भावना होती है तथा वह पुलिस जवानों के सुख सुविधाओं के लिए षासन द्वारा जो भी आदेष निर्देष जारी किए जायेगें वह पूरी तरह से प्रभावी करा सकेगें। जबकि आईपीएस अधिकारी निरंकुष अधिकारी होने के साथ पुलिस जवानों के साथ खेलने का काम करते है उनकी सुख सुविधाओं को पर गौर करने की बजाय उनका मानसिक और सामाजिक स्तर पर षोषण करने से पीछे नहीं होते हैं। यही कारण है कि पुलिस का चेहरा समाज में कु्रर और लोगों के बीच घृणाभाव से देखा जाने लगा है। पुलिस की षब्दावली लोगों को लज्जित किए जाती है। संस्थान के मंडल प्रवक्ता ने आगे कहा है कि आईपीएस अधिकारी कुर्सी पर बैठते ही पूरी तरह से निरंकुष हो जाते है कि मर्यादा, षिष्टाचार को ताक पर रख विभाग के पुलिसकर्मियों से लेकर पीएसी जवानों के साथ मनमाना दुव्र्यवहार करते है जिसका असर कहीं न कहीं से कानून व्यवस्था से लेकर पुलिस जवानों के कार्यप्रवृत्ति पर भी पड़ता है यहीं कारण है कि न केवल जनता में पुलिस की छवि को गलत रूपों में जाना पहचाना जाने लगा है बल्कि पुलिस के जवान भी अंदर ही अंदर कुंठा व आक्रोष में झुलसने को विवष हो रहे हैं। आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा षासन से जारी पुलिस कर्मियों के लिए मूलभूत सुविधाओं पर भी कुंडलीमार उस आदेष निर्देष को दबा दिया जाता है ताकि कोई जवान अपने हित और सुविधाओं की आवाज ही न उठा पाये। उन्होंने कहा वर्तमान में आईएएस और आईपीएस के मध्य व्यवस्थाओं को लेकर खिंचा तानी चल रही है। जिसमें आईपीएस संगठन जबरियां अपनी बातों को प्रभावी बनाना चाह रहा है। इसी प्रकरण में सूबे के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह द्वारा पिछले दिनों एक समाचार चैनल में कहा गया था कि आईएएस अधिकारियों द्वारा आईपीएस अधिकारियों के सम्मान के विरूद्व कार्य किया जा रहा है। आईपीएस अधिकारियों को नीचा दिखाये जाने का कार्य किया जा रहा है तथा मनोबल किराने की बात की जा रही है। परन्तु पूर्व डीजीपी तथा वर्तमान आईपीएस अधिकारी अराजपत्रित अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ उनके सम्मान के साथ दुव्र्यवहार कर रहे है। उनको नीचा दिखा रहे है, पुलिस जवानों का निरंतर अपमान कर रहे हैं और उनकी सुविधाओं, व्यवस्थाओं का दुव्र्यय कर रहे हैं। जिस पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया तथा उनकों मनमाना तरीके से दंडित भी कर रहे हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि आईपीएस अधिकारी अपने सम्मान, पीड़ा तथा अपने मनोबल का ही ध्यान रखते है। पुलिस जवानों के सम्मान, पीड़ा मनोबल से उन्हें कोई लेना देना नहीं होता है। इसी लिए वह चाहते है उनका एकक्षत्र राज चलता रहे। बैठक में उपस्थित जवानों ने भी हुंकार भरी की आईएएस अधिकारियों के हाथ में पुलिस विभाग की कमान सौंपी जाये ताकि पुलिस विभाग का सही ढंग से संचालन हो सके और इस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितता तथा दुव्र्यवहार समाप्त हो सके। बैठक में होमगार्ड अध्यक्ष रविन्द्र विष्वकर्मा, पीआरडी अध्यक्ष दीचन्द्र मौर्या, आलोक सिंह, रूपेष यादव, वंदन कुमार सहित तमाम वर्दीधारी जवान मौजूद रहे।


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