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-सरकारी इमदाद पर भारी पड़ रहा है ग्राम प्रधानों का स्वयं के श्रोतों से दिया जाने वाला इमदाद
-प्रशासनीक स्तर पर कंबल विरतण की योजना पड़ी है ठंड़ी, गरीबजन लगाये है आस

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। साल 2017 के आखिरी दिन से पड़ रही कड़ाके की गलन भरी ठंड ने जनमानस को बुरी तरह से हिला कर रख दिया है। आलम यह है कि गलन और ठिठुरने से लोगों का बुरा हाल हो उठा है। इंसान तो इंसान पशु, पक्षी तक ठंड के कहर से प्रभावित हो उठे हैं। सबसे बुरा हाल गरीब, असहाय और वृद्वजनों का है जिनके समक्ष दो वक्त की रोटी के लाले पड़े रहते है और उन्हें ओढ़ने और बिझाने के लिए भी तरसना पड़ता है। जिन्हें सरकारी स्तर पर बटने वाले सरकारी इमदाद रूपी कंबल की प्रतिक्षा होती है जो अभी तक बंट नहीं पाया है। ऐसे में इनका बुरा हाल हो उठा है। मजे कि बात है कि अकेले नगर क्षेत्र में ही कई असहाय, गरीब और वृद्वजन है जिनका कोई सहारा नहीं है और पूर्व के वर्षो में उन्हें तहसील स्तर से कंबल मिला करता था, लेकिन इधर कुछ वर्षो से उन्हें एक नहीं कई बार दौड़ लगाने के बाद भी कंबल मिलना नसीब नहीं हो पाया है। जिससे सर्द भरी रात उनके लिए मुश्किलों से बीत रही है। अलबत्ता सरकारी इमदाद पर ग्राम प्रधानों द्वारा स्वयं के श्रोतों से गरीब, असहाय जनों में बांटा जा रहा कंबल रूपी इमदाद इनपर भारी पड़ा है। जिसकी न केवल लोगों द्वारा मुक्त कंठ से सराहना की जा रही है बल्कि प्रशासन भी इनके कार्यो की प्रशंसा करने से पीछे नहीं है। बताते चले कि बीते 28 दिसंबर को छानबे विकास खंड के बिहसड़ा ग्राम प्रधान तथा समाजसेवी बलराम उर्फ पप्पू जायसवाल द्वारा स्वयं के श्रोतों से तकरीबन 15 सौ गरीब, असहाय, दिव्यांग और वृद्वजनों में कंबल बांटा गया था। इसी प्रकार राजगढ़ विकास खंड़ के खारोडीह ग्राम प्रधान रामेश्वर सिंह द्वारा भी स्वयं के श्रोतो से नये साल के अवसर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों में हजारों कंबल का वितरण कर उन्हें ठंड से बचाने का राहत भरा मानवीय कार्य किया जा चुका है। ऐसे में देखा जा सकता है कि प्रशासनीक स्तर पर दिये जाने वाले इमदाद पर ग्राम प्रधानों का इमदाद भारी पड़ता दिखलाई दे रहा है।

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