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-समाचार पत्र विके्रताओं, छोटे दुकानदारों से लेकर आमजन है खासा परेशान

-प्रशासन के आदेश और हनक का भी नहीं हो पा रहा है कोई असर

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी 

मीरजापुर। सिक्के को लेकर चला आ रहा भ्रम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं बैंकों की मनमानी से इसकों लेकर किचकिच होने लगा है। समाचार पत्र विके्रताओं, छोटे दुकानदारों से लेकर आमजन इससे खासा परेशान और प्रभावित नजर आ रहा है। मजे की बात है कि प्रशासन के आदेश और हनक का भी असर नहीं हो रहा है। व्यापारियों द्वारा प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप इस दिशा में कार्रवाई की मांग भी की जा चुकी है बावजूद इसके स्थित में सुधार होने को कौन स्थिति दिनोंदिन गंभीर ही होती जा रही है। आलम यह है कि लोगबाग अब इन सिक्कों को लेने की बात तो दूर इससे कतराने लगे है। बात किसी एक सिक्कें की नहीं बल्कि एक दो से लेकर पांच और दस के सिक्कों की भी हो रही है। भारतीय मुद्रा के इस प्रकार के हो रहे अपमान से प्रशासन भी पूरी तरह से वाकिफ है बावजूद इसके कोई ठोस कदम न उठाये जाने से इसकों लेकर रोज-कहीं न कहीं किचकिच होता आसानी के साथ देखा जा सकता है। पिछले महिने से दस के सिक्कें को लेकर चला आ रहा भ्रम कुछ थमा था कि छोटे सिक्के मसलन एक और दो के बाद पांच के सिक्कें को लेकर किचकिच शुरू हो गई है। अफवाहों का बाजार इस कदर गर्म हुआ कि भिखारी भी एक और दो के सिक्कें को लेने से कटराने लगे है। भारतीय मुद्रा के अभिन्न अंग सिक्कों को लेकर चले आ रहे भ्रम और न लेने की बढ़ती शिकायतों पर गौर करते हुए पिछले महिने पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी और जिलाधिकारी विमल कुमार दुबे ने भी जनमानस सहिज बैंकों और व्यापारियों को भारतीय मुद्रा के इन सिक्कों का लेनदेन करने को कहा था। जनसामान्य में चले आ रहे भ्रम और अफवाहों पर ध्यान न देने की बात कहीं थी चेताया भी था कि यदि कोई भ्रम फैलाने के साथ इन्हें लेने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं सिक्कों को लेकर किचकिच जारी है। मजे कि बात है खुद बैंकों द्वारा सिक्कों को लेने से साफ तौर पर इंकार किया जा रहा है। ऐसे में लोगों का कहना है कि जब बैंक खुद सिक्कों को लेने से परहेज कर रहा है तो भला वह इन सिक्कों को लेकर जाये तो जाये कहां? नगर के व्यारियों का भी आरोप है कि बैंक सिक्कों को लेने से पीछे हट रहा है जिससे इस समस्या का समाधान होने को कौन कहे यह बढ़ता ही जा रहा है। छोटे दुकानदारांे मसलन चाय पान से लेकर समाचार पत्र विके्रताओं का दर्द है कि सिक्कों को वह लेने से इंकार करते है तो उनका काम प्रभावित होता है दो वक्त की रोटी उन्हें नहीं मिल पायेगी वहीं वह जब व्यापारी के पास जाते है तो वह इन्हें लेने से साफ इंकार करता है ऐसे में वह करे तो क्या करे कुछ समझ में नहीं आ पा रहा है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश विकलांग सेवा समिति की बैठक में दिव्यांगों ने नगर सहित समूचे जिले में सिक्कों को न लिये जाने से उत्पन्न समस्याओं को लेकर चर्चा करने के साथ निर्णय लिया गया कि समिति का प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से इस मुद्दे पर बात करेगा यदि समाधान न निकला तो धरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जायेगी। समिति के प्रदेश अध्यक्ष जटाशंकर सिंह जहरीला ने कहा खुदरा सिक्का बैंकों और बड़े व्यापारियों द्वारा न लिए जाने से छोटे दुकानदानों के धंधे पर बुरा असर पड़ रहा है। नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों में किचकिच होने के साथ कहीं कहीं विवाद की स्थिति पैदा हो जा रही है। भिखारी से लेकर रिक्शा और आटो रिक्शा चालक आदि मेहनतकश लोग भी इसकी जद में आकर बुरी तरह से प्रभावित हुए है। जिसका शीघ्र ही समाधान न हुआ तो स्थिति गंभीर हो सकती है। 
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