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- आस्थावानों की भारी भीड़ के चलते विन्ध्य की समस्त गलियों में तिल रखने की भी जगह नहीं थी

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर मां विंध्यवासिनी दरबार में लाखों की संख्या में भक्तों ने गंगा स्नान कर मां विंध्यवासिनी दरबार में मत्था टेका। जिला प्रशासन द्वारा मंदिर परिषद में सुरक्षा दृष्टिकोण मानकों के तहत बीएच डिटेक्टर मशीन एवं पुलिस कर्मियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। गंगा घाटों पर बैरिकेटिंग की सुविधा न होने के साथ विंध्य धाम में आने वाले श्रद्धालुओं एवं यात्रियों के लिए सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्थानीय नगर पालिका की लापरवाही के कारण मंदिर परिषद की गलियों एवं गंगा घाट में सफाई व्यवस्था न होने के साथ विंध्यधाम में आने वाले यात्रियों एवं श्रद्धालुओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शरद पूर्णिमा पर मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के लिए गुरुवार की भोर से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। आस्थावानों की भारी भीड़ के चलते विन्ध्य की समस्त गलियों में तिल रखने की भी जगह नहीं थी। गंगा घाटों पर स्नान-ध्यान करने वालों का रेला लगा रहा। पुष्पों से मां का किया गया भव्य श्रृंगार दर्शन पाकर भक्तजन अभिभूत हो उठे। जगत जननी मां विंध्यवासिनी की भव्य आरती के समय घंटा-घड़ियाल, शंख व मां के जयघोष से संपूर्ण धाम देवीमय हो रहा था। पूर्णिमा पर जगत जननी आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी के पावन धाम में देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंगलकामना की। क्या छोटे, क्या बड़े सभी श्रद्धा भाव से मां के भव्य स्वरूप का दर्शन पाने के लिए लालायित दिखाई पड़े। गंगा में डुबकी लगाने के बाद भक्त माला-फूल नारियल-चुनरी, रोरी-रक्षा, धूप दीप आदि लेकर मंदिर पहुंचे, जहां जगत जननी के दिव्य स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल हो उठे। सुबह से ही विंध्यक्षेत्र की गलियों में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। श्रद्धालु हाथ में प्रसाद आदि लिए नंगे पांव मां का जयकारा लगाते विंध्यधाम की तरफ चले जा रहे थे। मां का दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर में विराजमान समस्त देवी-देवताओं के मंदिरों में पहुंच कर मत्था टेका। मंदिर की छत पर जहां एक ओर साधकों द्वारा वैदिक मंत्रोचार के बीच अनुष्ठान पूजन होता रहा, वहीं दूसरी ओर मुंडन संस्कार का भी दौर देर तक चला। मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा की। पहाड़ पर विराजमान मां काली और मां अष्टभुजा देवी के पावन धाम में शीश नवाने के बाद भक्तों ने पहाड़ पर स्थित अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में जाकर पूजन-अर्चन किया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते सुरक्षा-व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
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