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-कहना हुआ मुश्किल गड़ढ़े में सड़क है सड़क में गड़ढ़े

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। कहने को तो जिगना राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग पर है पर हकीकत के धरातल से रूबरू होने पर कोई भी यह नहीं कह सकता कि सड़क मंे गढ्ढा है या गडढे में सड़क। जी हां! यहां तो पूरी सड़क ही गढ्ढे में है राष्ट्रीय राजमार्ग 76 ई का हाल बद्हाल है। खासतौर पर गैपुरा से जिले के पश्चिमी छोर पर बसे सुमतिया पाली गांव तक आठ किलोमीटर की दूरी तय करने मे कमोबेश डेढ़ घंटे तक जद्दोजहद करनी पड़ती है। लम्बी दूरी के वाहन चालक समझ नहीं पाते कि हम भारत वर्ष के किस कोने में आ पहुंचे हैं मीरजापुर-इलाहाबाद मार्ग के बगल जिगना में साइकिल की दुकान चलाने वाले राजेश गुप्ता कहते हैं कि गढ्ढे मे तब्दील हो चुकी सड़क पर सफर करने मंे अक्सर बाइक सवार चोटहिल हो चुके हैं वाहनों की रफ्तार देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई घुटनों के बल सरक रहा हो गढ्ढों मे फंसकर निगम की बसों का अगला -पिछला हिस्सा उखड़ जाता है। सड़क के किनारे चाय पान की दुकान चलाने वाले शिव दर्शन बिन्द ने ब्यथित मन से कहा कि गढ्ढों मे गिरकर बाइक सवार महिलाओं व नवजात शिशुओं को चोटहिल होते देख कलेजा मुंह को आ जाता है। समय के साथ अब तो संयम का बांध टूट रहा है। मन मसोसकर रह जाता है कि वह दिन कब आएगा जब इस सड़क का भी कायापलट होगा सड़क के उत्तरी छोर पर कपड़े की दुकान चलाने वाले बुजुर्ग राम दुलार यादव ने बगैर लाग लपेट के कहा कि सड़क की ओर देखने पर मन मिजाज कसैला हो जाता है। खुद पर गुस्सा आता है कि सड़क का उड़ता डस्ट श्वांस के साथ फेफड़ों मे प्रवेश कर रहा है। जिगना थाने के सामने सड़क के बगल ही ब्यूटी पार्लर की संचालिका ज्योति चैरसिया मीरजापुर-इलाहाबाद मार्ग की दुर्दशा के लिए ब्यवस्था के शरमाएदारों को जिम्मेदार मानती हैं दो टूक लहजे में कहा कि देश व प्रदेश की बड़ी पंचायत मे बैठने वालों ने सड़क की हालत को लेकर कभी आवाज ही नहीं लगाई सड़क मार्ग के समीप ही हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले रवि यादव ने कहा कि नवरात्र के पावन अवसर पर देश के कोने कोने से श्रद्धालु भक्त बिन्ध्यवासिनी धाम में दर्शन पूजन करने आते हैं। नेता मंत्री यहां तक की उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशगण भी मां के चरणों मे शीश झुकाने आते हैं फिर भी सड़क निर्माण को कौन कहे अभी तक मरम्मत कार्य भी प्राम्भ नहीं हो सका। जिगना चैराहे पर आयरन स्टोर चलाने वाले राम सागर गुप्ता कहते हैं कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग से बेहतर तो कहीं कहीं गांवो के सम्पर्क मार्ग हैं सड़क की धूल वाहनों के धुएं सोखने के लिए हमलोग अभिशप्त हो गए हैं। नेता नौकरशाह भी इसी मार्ग से गुजरते हैं किन्तु लक्जरी गाड़ियों मे बन्द शीशे मे उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता अथवा यूं कहे कि वो कुछ भी देखना ही नहीं चाहते
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