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मीरजापुर। विंध्याचल के शिवपुर स्थित रामगया घाट पर पितृ विसर्जन अमावस्या तिथि में लाखों लोगों ने पिंडदान व तर्पण किया। जनश्रुतियों के अनुसार वनवास काल में भगवान राम ने अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान यहीं किया था। अनुमान के मुताबिक लगभग तीन लाख लोगों ने पिंडदान किया। तर्पण करने के लिए प्रयागए फैजाबादए जौनपुरए वाराणसी समेत मध्यप्रदेश आदि राज्यों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। सुबह से ही लोग चावल, दूध, काली तिल के मिश्रण का खीर अहरा पर पकाया। पकने के बाद पवित्र गंगा में डूबकी लगाई। इसके बाद पूरोहितों ने वैदिक मंत्रों के बीच पिंडदान का संपादन कराया। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपने पिता का दशरथ का तर्पण किया था। यहीं शिवपुर में भगवान राम ने पहले शिव लिंग की स्थापना की। इसके बाद शिव पूजन के बाद तर्पण किया गया। तभी से यहां लोग तर्पण करने के लिए आते हैं। मान्यता यह भी है जो लोग अपने पितरों का तर्पणए पिंडदान करने के लिए महातीर्थ गया नहीं जा पाते वे लोग रामगया घाटपर ही तर्पणए श्राध करने के लिए आते है। वनवास काल में विंध्य पहाडि़यों में रहते भगवान राम के साथ माता सीता ने यहीं कुछ दूर सीताकुड पर मातृनवमी के दिन अपनी माताओं का तर्पण किया था।
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