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मुंबई । संवाददाता


बृहन्मुंबई महापालिका क्षेत्र में २९ अगस्त २०१७ को हुवे तूफानी बरसात के दरम्यान अनेक नागरिको को बरसात के पानी में चलना पड़ा कांना. मदत कार्य करने वाले महापालिका के लगभग ३० हजार कर्मचारियों सहित अनेक स्वयंसेवी संस्थां के कार्यकर्ता , नागरिको ने भी आवश्यकता के अनुसार बरसात के पानी में चलना पड़ा. तूफानी बरसात के दरम्यान बरसात के पानी चलने वाले व्यक्तियों को लेप्टोस्पायरोसिस होने की संभावना होती है. इस बात को ध्यान में रखकर प्रतिबंधात्मक उपचार के बारे की सुचना महापालिका के स्वास्थ विभाग द्वारा प्रसिद्ध किया गया है.

इसके लिए विविधस्तरीय प्रतिबंधात्मक उपाययोजना का भाग महापालिका के स्वास्थ विभाग द्वारा दिनांक ३० व ३१ अगस्त को महापालिका क्षेत्र में आयोजित किये गए २८ स्वास्थ शिबिर का लाभ ३ हजार ६७८ नागरिलो ने लिया है. उसी तरह महापालिका के स्वास्थ विभाग द्वारा प्रतिबंधात्मक स्वास्थ के लिए घर घर जाकर सर्वेक्षण शुरू किया गया है इसमें ३१ अगस्त तक ३६ हजार २०२ व्यक्तींयो पर प्रतिबंधात्मक औषधो उपचार किया गया है, यह सुचना महापालिका के कार्यकारी आरोग्य अधिकारी डॉ. पद्मजा केसकर ने दिया है.

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुवे डॉ. केसकर ने कहा की, जो व्यक्ती बरसात के पानी में एक बार चले है , उस व्यक्ती को 'कम खतरा' इस ग्रुप में आते है. और एक बार बरसात के पानी में चले हुवे लेकिन शरीर पर या पैर में जखम रहने वाले या गलती से बरसात का पानी मुह में गये व्यक्ती को 'मध्यम खतरा' इस ग्रुप में आते है. तथा एक से अधिक बार बरसात के पानी में जाने वाले व्यक्ती को 'अति खतरा ' इसमें ८ वर्ष से कम उम्र के बालको और गर्भवती महिला को इस बारे में अधिक सावधानी बरतना जरूरी है. यह बात ध्यान में रखकर महापालिका ने सर्वस्तरीय प्रतिबंधात्मक उपाययोजना हाथ में लिया है.

लेप्टोस्पायरोसिस यह रोग सूक्ष्मजंतु के कारण होता है -

चूहे, कुत्ते, घोडे, भैंस, बैल उसी तरह अन्य कुछ प्राणी इस रोग के सोर्श है: प्रभावित प्राणीयो के मूत्र द्वारा संक्रमित हुवे पानी के संपर्क में आते ही मनुष्य को लेप्टोस्पायरोसिस इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है .विभिन्न प्रकार के जानवर इस सूक्ष्मजंतु के वाहक होते है. लेकिन उसमे भी उस बीमारी का लक्षण दिखाई नही पड़ता. शहरी विभाग में लेप्टोस्पायर यह सूक्ष्मजंतु चूहे और कुत्ते में पाए जाते है. संक्रमित जानवरों के मुत्र द्वारा दूषित हुवे पानी, अन्न व मिटटी के माध्यम से मनुष्य संक्रमित होता है, यह संक्रमित जखम हुयी त्वचा, आख, नाक के माध्यम से होता है. बरसात में और बाढ़ आने के बाद या तूफानी बरसात होने के बाद नागरिको को दूषित पानी में चलने से शरीर के जखम के माध्यम से इस रोग के जन्तु अपने शरीर में प्रवेश कर सकते है.


नागरिको को लेने वाली सावधानी -

> बरसात में किसी भी तरह का बुखार डेंग्यु, मलेरिया अथवा लेप्टोस्पायरोसिस हो शकता है . इसलिए बुखार को नजरअंदाज न कर जल्द डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है पैर पर जखम होनेपर भरे हुवे पानी से आने जाने से बचे.
> भरे हुवे पानी से चलकर आने पर पैर साबुन से स्वच्छ धोकर सुखाये.
> भरे हुवे पानी से चलकर आने से लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमित होने की संभावना होती है इसलिए डॉक्टरो की सलाह पर लेप्टोस्पायरोसिस प्रतिबंधात्मक उपचार जल्द लेना आवश्यक है.
> बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह ले.
> पुरेशी विश्रांती, पोषक आहार व वेळेत उपचार घ्यावा.
> चूहे - घुस को नष्ट करे .
> चूहे नियंत्रण के लिए चूहे को अन्न न पहुचे, चूहे को पिंजरे में पकड़ना, उसे विष देना इत्यादी मार्ग प्रयोग करे.
> घर में और पास परिसर में कचरा नही जमा हो इस पर ध्यान दे कचरों को फेक दे.
> ट्रेकींग, एडवेंचर स्पोर्टस खेल का प्रकार टाले .

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