लखनऊ, हिन्दुस्तान की आवाज़, आफाक अहमद मंसूरी
उत्तर प्रदेश के छोटे से गावं में रहने वाली 20 वर्षीय शफक जमाल की परवरिस एक गरीब परिवार में हुई, जिला बाराबंकी के महमूदाबाद गांव में पिता जमाल अहमद खेती किसानी का काम करते हैं, छोटे से गांव में पली बड़ी शफक जमाल ने किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बाराबंकी के जहांगीराबाद मीडिया संस्थान से मास कम्युनिकेशन का कोर्स किया लेकिन घर की माली हालत खराब होने के कारण डिप्लोमा की रकम अदा ना कर सकी जिसकी वजह से वो डिग्री प्राप्त करने से महरूम रह गई, पिता द्वारा बेटी को आगे बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश विफल रही एक बेटी को सरकार द्वारा भी कोई आर्थिक मदद नही मिली और इस तरह बेटी को आगे बढ़ाने में एक पिता परिस्थिति के आगे मजबूर हो गए, लेकिन बेटी ने हर लिहाज से पिता की अच्छी तरबियत पर पिता के वकार को बाकी रखा और साहित्य में अपनी रुचि दिखाकर 8 वर्ष की उम्र में ही पहली कविता से शुरुआत की और मौजूदा हाल में शफक जमाल की अनगिनत शायरी मौजूद है इनके अलावा समाज के सामने लफ्जों में स्पीच द्वारा बोलने की महारत भी हासिल है, सन 2014 में बौद्ध शोध संस्थान में स्पीच कम्पटीशन में सांत्तवना पुरस्कार मिला और सन 2015 में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया, साहित्य में शुरू से ही रुचि रखते हुए अपने लिखने की कला को उजागर किया अपने शब्दों के माध्यम से समाज की हर परिस्थितियों को समय समय के साथ उजागर करते हुए अपने विचारों को शायराना तर्क में दर्शाया समाज की अच्छाई व बुराई को गंभीरता से लिखने के बेहतरीन अंदाज में डायरी के हर पन्नों में कीमती अशआर जमा किये हैं शफक जमाल की शायरी में एक शायरी जो यहां पेश है |
-----------नफरत---------
-मज़हबों के नाम पर,
फैली हुई है आग क्यों ?
गली गली में शोर क्यों
गली गली में आग क्यों ?
हर छोटी छोटी बात पर,
धर्म का ही राग क्यों ?
मुहब्बतों के शहर में,
नफरतों की बात क्यों ?
दो दिलों के बीच में,
धर्म और जात क्यों ?
शान्ति का प्यारा घर,
हो गया है राख क्यों ?
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Disclaimer हमे आप के इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करे और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य मे कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह ईमेल hindustankiaawaz.in@gmail.com भेज कर सूचित करे । साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।
उत्तर प्रदेश के छोटे से गावं में रहने वाली 20 वर्षीय शफक जमाल की परवरिस एक गरीब परिवार में हुई, जिला बाराबंकी के महमूदाबाद गांव में पिता जमाल अहमद खेती किसानी का काम करते हैं, छोटे से गांव में पली बड़ी शफक जमाल ने किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बाराबंकी के जहांगीराबाद मीडिया संस्थान से मास कम्युनिकेशन का कोर्स किया लेकिन घर की माली हालत खराब होने के कारण डिप्लोमा की रकम अदा ना कर सकी जिसकी वजह से वो डिग्री प्राप्त करने से महरूम रह गई, पिता द्वारा बेटी को आगे बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश विफल रही एक बेटी को सरकार द्वारा भी कोई आर्थिक मदद नही मिली और इस तरह बेटी को आगे बढ़ाने में एक पिता परिस्थिति के आगे मजबूर हो गए, लेकिन बेटी ने हर लिहाज से पिता की अच्छी तरबियत पर पिता के वकार को बाकी रखा और साहित्य में अपनी रुचि दिखाकर 8 वर्ष की उम्र में ही पहली कविता से शुरुआत की और मौजूदा हाल में शफक जमाल की अनगिनत शायरी मौजूद है इनके अलावा समाज के सामने लफ्जों में स्पीच द्वारा बोलने की महारत भी हासिल है, सन 2014 में बौद्ध शोध संस्थान में स्पीच कम्पटीशन में सांत्तवना पुरस्कार मिला और सन 2015 में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया, साहित्य में शुरू से ही रुचि रखते हुए अपने लिखने की कला को उजागर किया अपने शब्दों के माध्यम से समाज की हर परिस्थितियों को समय समय के साथ उजागर करते हुए अपने विचारों को शायराना तर्क में दर्शाया समाज की अच्छाई व बुराई को गंभीरता से लिखने के बेहतरीन अंदाज में डायरी के हर पन्नों में कीमती अशआर जमा किये हैं शफक जमाल की शायरी में एक शायरी जो यहां पेश है |
-----------नफरत---------
-मज़हबों के नाम पर,
फैली हुई है आग क्यों ?
गली गली में शोर क्यों
गली गली में आग क्यों ?
हर छोटी छोटी बात पर,
धर्म का ही राग क्यों ?
मुहब्बतों के शहर में,
नफरतों की बात क्यों ?
दो दिलों के बीच में,
धर्म और जात क्यों ?
शान्ति का प्यारा घर,
हो गया है राख क्यों ?
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