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मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। रक्षक कल्याण ट्रस्ट द्वारा संचालित अराजपत्रित पुलिस वेलफेयर संस्था मीरजापुर की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का आयोजन मण्डल प्रवक्ता सुशील कुमार दूबे के आवास पर किया गया। बैठक का संचालन पी.आर.डी. अध्यक्ष दीपचन्द्र मौर्य ने किया। बैठक को सम्बोधित करते हुए मण्डल प्रवक्ता, सलाहकार सुशील कुमार दूबे ने कहा कि जनपद चित्रकूट मुटभेड़ में मारे गये उपनिरीक्षक (एस.आई.) को रक्षक कल्याण ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों व अरापत्रित पुलिस वर्दीधारी जवानों द्वारा शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद उपनिरीक्षक को कम से कम एक करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता होनी चाहिए। क्योंकि ड्यूटी के दौरान कर्तव्य पालन करते हुए शहीद हुए है। आगे उन्होंने कहा कि आम घटना व दुर्घटना में सरकार व उनके प्रतिनिधि शहीद, मृतकों के घरों तक जा करके शोक संवेदना व सहायता राशि दिया जाता है तथा विभाग के द्वारा भी बजट व कोष से सहायता दिया जाता है। लेकिन शहीद उपनिरीक्षक को मात्र 50 लाख रूपये राज्य सरकार व विभाग से मिलाकर दिया गया जो आर्थिक सहायता उचित नहीं है। जबकि पूर्व में दिल्ली सरकार ने एक घटना में मृतक दिल्ली पुलिस के जवान को एक करोड़ रूपये का सहायता दिया था, क्या दिल्ली सरकार से उत्तर प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति दयनीय है। दूबे ने कहा कि जनपद में पुलिस जवानों से एक दिन के वेतन देने की बात कही जा रही है। जबकि इसकों लेकर जवानों ने काफी असहमति, आपत्ति जतायी है। क्योंकि पूर्व में अरापत्रित पुलिस वेलफेयर के नाम पर जवानों के वेतन से वर्ष 1961 से 22 से 25 रूपये प्रतिमाह मन्दिर, मस्जिद, रक्षा, सुरक्षा, एमआरएफ व स्पोर्ट आदि कटौती हो रही थी जो करोड़ों रूपये होंगे उसके अलावा पुलिस विभाग में दुर्घटना बीमा सहित कई मदों में काफी पैसे है, वह पैसे कब और किस दिन के लिए और किसके लिए है? शहीद उपनिरीक्षक को चंदा लगाकार पैसे को देने की बात बहुत ही दुःखद है। आगे दूबे ने कहा कि वर्तमान समय में जनपद के अधिकारियों द्वारा जवानों का लगातार आर्थिक व शारीरिक उत्पीड़न किया जा रहा है। चाहे वह मोबाइल व वाट्सएप से या चंदे के माध्यम से या परेड दलेल की बात हो जवानों को दो घंटे परेड दलेल की जगह 6-6 घंटे की परेड दलेल कराया जा रहा है जो पुलिस रेगुलेशन की पैरा 7 का घोर उलंघन किया जा रहा है। इससे बड़ा तानाशाही व्यवस्था और क्या हो सकती है? अधिकारी जवानों के सब्र की परीक्षा ले रहे है जो अब ठीक नहीं है क्योंकि सब्र की भीएक सीमा होती है। बैठक में कुछ जवानों ने कहा कि पूर्व में वेलफेयर के नाम पर 22 रूपये से 25 रूपये कटौती का लाभ उच्चाधिकारियों के दयादृष्टि पर उनके कुछ पसंदीदा अधिकारियों व जवानों को ही मिल पाता है। बाकी को इसकी जानकारी ही नहीं हो पाती है।
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